01. सड़क (ROAD):- आवागमन को सुगम व सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि आवागमन हेतु सुविधा युक्त सड़क बना रहे । सड़क के क्रासिंग स्थलों पर फ्लाई ओव्हर, यातायात सिग्नल, यातायात संकेतक चिन्ह -बोर्ड, मार्ग विभाजक आदि बना रहे तभी आवागमन सुरक्षित व सुगम हो सकता है । यदि सड़क उबड़-खाबड, लेप्ट टर्न फ्री, मार्ग विभाजक, वाहनों का पार्किग स्थल आदि न हो । सुगमता पूर्वक आवागमन में कठिनाई होगी एवं दुर्घटना घटित होने की संभावना बनी रहेगी ।
02. वाहन (VEHICLE):- सड़क पर आवागमन करने वाले वाहन के सभी कल पूर्जे जैसे ब्रेक, गेयर, स्टेयरिंग, लाईट, क्लच, रियर ब्यू मिरर, आदि सही हो तो तभी सुगमता पूर्वक सुरक्षित आवागमन होगा । किसी प्रकार की कमी है तो विषम परिस्थितियों में वाहन को नियंत्रण में चालक को कठिनाई होगी एवं दुर्घटना घटित होने की संभावना बनी रहेगी ।
03. वाहन चालक (DRIVER) :- सड़क पर संचालन होने वाला वाहन का चालक यदि वाहन चालन व यातायात नियम से संबंधित पूर्ण प्रशिक्षित है, उसे सड़क के बारे में उसे जानकारी है, किसी प्रकार का मानसिक तनाव नही है या नशा का सेवन नही करता है । तो वह सुगमता पूर्वक आवागमन कर सकता है ।यह एक ऐसा घटक है जो उपरोक्त दोनों घटकों की कमियों/त्रुटियों को अपने ज्ञान एवं प्रशिक्षण से निराकरण कर सकता है|
मनुष्य एवं मशीन का यदि उत्तम सामंजस्य न हो तो परिणाम दुःखद होता है। एक अच्छा वाहन चालक वही है जो विपरित परिस्थिति पर या किसी अन्य वाहन चालक के गलती पर भी सुगमता व सुरक्षित तरीके से वाहन संचालन करें । यातायात संचालन के लिए अनेक मशीनी उपाय हैं तथा नियंत्रण हेतु कानूनी प्रावधान है । किन्तु यह मशीनी उपाय एवं कानूनी प्रावधान उतना कारगर नही हो सकता जब तक सड़क का प्रयोग करने वालों को यातायात नियमों की पूर्ण जानकारी न हो ।
जानिये दुर्घटना के मुख्य कारण, ऐसा करने से बचें –
01. अनियंत्रित गति – वाहन की बेलगाम गति दुर्घटना को निमंत्रण देती है । वाहन चलाते समय गति को नियंत्रित रखें , तात्पर्य यह है कि वाहन की गति उतना ही रखें जो आपके नियंत्रण में है ।
02. पीछा करना – किसी भी वाहन का लगातार पीछा करते रहना भी दुर्घटना का कारण बन सकता है। पीछा करने में बीच में उतनी जगह नही बचती । सामने का वाहन चालक ब्रेक लगाने पर अचानक रूकने पर टक्कर हो सकता है एवं वाहन की गति जितनी अधिक होगी उसे रोकने में अधिक स्थान की आवश्यकता होती है, इसलिए भूलकर भी वाहन का पिछा न करें । सामने वाले वाहन से सुरक्षित दुरी बनाये रखें ।
03. असुरक्षित ओव्हर टेक करना – खतरनाक मोड़, पहाड़ी रास्तों, मार्ग संगम स्थलांे, भीड़- भाड़ वाली सड़कों ऐसे अन्य असुविधा यूक्त स्थानों पर कदापी ओव्हर टेक न करें । सड़कों पर ओव्हर टेक करते समय स्पष्ट संकेत देकर, सामने की ओर से कोई वाहन नही आ रहा है तभी ओव्हर टेक करें ।
04. यातायात संकेतको ध्यान नही देना – वाहन चलाते समय यातायात नियमों से संबंधित दिशा निर्देशों, चेतावनी और मार्ग संगमों पर यातायात नियमों का पालन नही करने दुर्घटना का कारण बन सकता है ।
05. नशे के हालत में वाहन चलाना – वाहन चालक यदि नशे के हालत में है तो वाहन नियंत्रित करने में असमर्थ होता है, अतः नशा सेवन कर कभी भी वाहन न चलावें ।
06. थकावट – अत्यधिक समय तक, बिना आराम किये लगातार वाहन चलाते रहने पर भी दुर्घटना के कारण बन सकता है ।
07. वाहन के सभी कल -पूर्जे दुरूस्त नही होने से – वाहन के सभी कल पूर्जे जैसे – गेयर , बे्रक, लाईट, इंडीकेटर, रियर ब्यू मिरर, टायर में कम हवा आदि होने पर भी दुर्घटना के कारण बनते है ।
08. चालक का ध्यान भटकना – वाहन चालक का ध्यान वाहन चलाने के बजाय अन्य ओर घ्यान रहने से भी दुर्घटना के सबब है ।
09. वाहन चालक के साथ अन्य कार्य करना – जैसे मोबाईल से बात करते, सिगरेट पीते, पानी इत्यादि पीते, या अन्य कार्य करते वाहन चलाने पर भी दुर्घटना के कारण बनते हैं ।
10. निषेध स्थानों का वाहनों का पार्किग करने पर – ऐसे स्थानों पर जहाॅ वाहन पार्किग हेतु प्रतिबंधित है या वाहन पार्क करने से अन्य वाहन चालक को असुविधा होती है तो दुर्घटना घटित होने की संभावना बना रहता है ।
11. मौसम:- कोहरा, बरसात, प्रदुषण आदि कारणों से वाहन चालक को सुलभ दृश्य नही होने के कारण दुर्घटना का संभावना बना रहता है । अतः ऐसी परिस्थिति में वाहन धीमी गति से चलाना चाहिए ।